ज्ञानवापी मामले पर मुस्लिम पक्ष को दिखाना चाहिए बड़ा दिल – उत्तराखंड वफ्फ बोर्ड

उत्तरप्रदेश के ज्ञानवापी का मामला देश भर में चर्चाओं का विषय बना हुआ है। इसी बीच इलाहाबाद हाइकोर्ट ने ज्ञानवापी का एएसआई सर्वे जारी रखने को हरी झंडी दे दी है। दरअसल, ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने याचिका दायर की थी। जिसपर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एएसआई सर्वे को रोकने के लिए मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद उत्तराखंड  वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि ज्ञानवापी मसले पर मुस्लिम पक्ष को बड़ा दिल दिखाना चाहिए। साथ ही कहा कि इस मामले को हाईकोर्ट से बाहर हल करना चाहिए। शादाब ने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट हो जाएगा कि ज्ञानवापी पहले मंदिर था या नहीं? अगर मंदिर था तो उन्हें हिंदू पक्ष को सौंप देना चाहिए, और नमाज पढ़ने के लिए कहीं और मस्जिद बना लेना चाहिए।

क्योंकि इस्लाम धर्म में इस बात को कही गई है कि अगर किसी जमीन में विवाद है तो वहा मस्जिद नही बनाई जा सकती हैं, और अगर मस्जिद बन भी गई तो ऐसी मस्जिदों में नमाज़ नही होगी। ऐसे इस शरियत के अनुसार निर्णय को लेना है। साथ ही समाजों को एक दूसरे के साथ अच्छा व्यवहार रखना चाहिए। हालांकि, ज्ञानवापी में त्रिशूल के निशान अन्य कलाकृति की बात कही जा रही है ऐसे में सर्वे के बात ये बाते भी साफ हो जाएंगी कि कौन सही बोल रहा है और कौन गलत बोल रहा है।

आपको बता दे कि 21 जुलाई को वाराणसी जिला जज ने ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे का आदेश दिया था। लेकिन मुस्लिम पक्ष ने पहले सुप्रीम कोर्ट फिर हाईकोर्ट में एएसआई सर्वे के खिलाफ याचिका दायर की। ऐसे में अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस बात को कहा है कि न्यायहित में एएसआई का सर्वे जरूरी हैं। कुछ शर्तों के तहत इसे लागू करने की आवश्यकता है। जिसके बाद से ही देशभर में सियासत जारी है।

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